पहिल-पहिल हम केली छठी मेइया व्रत तोहार......
ये लाइने कानों में गूंजते ही देश के किसी भी हिस्सों में बेठे लोग इमोशनल हो जाते हैं और हो भी क्यों ना ये लाइनें एक बड़ी आबादी के इमोशंस से जुड़ी हुई हैं। खास करके यूपी, बिहार और झारखंड के लोंगो से। दिवाली की शुरुआत होते ही घर जाने की इच्छा हिल्लोरे मारने लगती है। साल भर में यह एक इकलौता मौका होता है जब लोग बच्चों की तरह परेशान हो रहें होते हैं।
सर! दिवाली में नहीं छठ पूजा में घर जाना चाहती हूं। यह बात देश के सभी हिस्सों में रहने वाले हम जैसे बिहार वासियों की है। वो चाहे पढ़ाई कर रहा हो या जाॅव, साइंटिस्ट हो या ठेला वाला छठ पूजा में घर जाना जरूर चाहते हैं। इसके पीछे धार्मिक मान्यता हैं। जिसके कारण लोक आस्था का 'महापर्व' छठ पूजा को कहा जाता हैं।
छठ पूजा का हमें काफी इंतजार रहता हैं। कब आएगा छठ पूजा? ये सवाल भी मन में कई दफा आता है। इस पर्व को लेकर हम बिहार वासियों में कितनी निष्ठा है इसे इसी बात से समझा जा सकता है कि प्रत्येक वर्ष छठ पर्व के अवसर पर दिल्ली मुबंई समेत देश के तमाम राज्यों से बिहार जाने वाली ट्रेनों में ऐसी भीड़ उमड़ती है कि प्रशासन को स्टेशन पर सुरक्षा के लिए विशेष इंतजाम करना पड़ता है। कई बार तो बिहार के लिए स्पेशल ट्रेन चलानी पड़ती है।
छठ सिर्फ एक पर्व नहीं बल्कि महापर्व है जो चार दिनों तक मनाया जाता है। यह पर्व साल में दो बार मनाया जाता है। पहली बार हिंदी महीने के चैत्र में और दूसरी बार कार्तिक में । चैत्र शुक्ल पक्ष में मनाने वाले छठ को चैत्री छठ कहा जाता हैं और कार्तिक शुक्ल पक्ष में मनाने वाले छठ को कार्तिक छठ कहतें हैं। पारिवारिक सुख समृद्धि को बनाए रखने के लिए यह पर्व मनाया जाता है।
छठ पूजा की शुरुआत कद्दू भात से होती है। जिसमें कद्दू की सब्जी, चने की दाल और चावल का प्रसाद बनाया जाता है। इसके अगले दिन को खरना पूजा कहते हैं। जिसमें मुख्य रुप से खीर प्रसाद के रूप बनाया जाता है। छठ पूजा का सबसे महत्वपूर्ण तीसरा दिन होता है। इस दिन ठेकुआ बनाया जाता है जो छठ पूजा का मुख्य प्रसाद माना जाता है। तीसरे दिन की पूजा शाम को मनाई जाती है जिसमें डूबते हुए सूरज को अर्घ्य देने का रिवाज है। जबकि चौथे दिन उगते हुए सूरज को अर्घ्य दिया जाता हैं। जिन घरों में ये पूजा मनाई जाती है उन घरों में भक्ति गीत गाई जाती हैं। छठ पूजा में मुख्य रुप से महिलाएं व्रत रखती हैं। लोगों का मानना है कि छठ पूजा की परम्परा महाभारत काल से जूड़ी हुई हैं।
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