हरियाणा के फरीदाबाद में देश के शिल्पकारों और उनकी कला को सुरजकुण्ड मेला में वैश्विक मंच मिल रहा है। मेला में पहुँचने वाले देश के अलग-अलग जगह के लोग अपनी कला से लोगों को प्रभावित कर रहे हैं। मणिपुर के रहने वाले पंकज का सुरजकुण्ड मेला में एक छोटा सा दुकान है। उनका कहना है कि उन्हें प्रत्येक साल अपनी कला और संस्कृति को प्रस्तुत करने के लिए इस मेले में बुलाया जाता है। पंकज कहते हैं में यहां दूसरी बार आया हुं। पहले मेरे पिताजी आते थे। अब वो अस्वस्थ रहने लगे इसलिए मैं आया हूं।
पंकज की दुकान में बहुत ही खूबसूरत टोकरी सजाई हुई है जो कि घास से बनाई गई है। पंकज कहते हैं इस टोकरी को एक अलग तरह के पहाड़ी घास से बनाया जाता है। यह घास पहाड़ो के बीच उगते हैं जिसे हमलोग काटकर अपने घर लाते है। फिर उसे कम से कम चार-पांच दिनों तक धूप में सुखाते है। उसके बाद उस घास को एक अलग तरह की कांटा पर बुनते है। काटा से बुनने के बाद जब हमारे पास अधिक संख्या में घास एक जगह इकट्ठा हो जाता है तब फिर हम उसे अपने हाथों से टोकरी के आकार में बनाते है। इसे तैयार करने में कम से कम एक सप्ताह का समय लगता है। इसकी कीमत 300 से 400 रूपये है। इसे बनाने में खर्च तो कम है लेकिन मेहनत बहुत है।
पंकज कहते हैं। सूरजकुंड मेला एक अंतर्राष्ट्रीय मेला है । यहां अपने देश के आलावा विदेशी कला और संस्कृति का भी प्रचार प्रसार किया जाता है। ऐसे में हम यहां सामान बेचकर अपना मुनाफा कमाने से ज्यादा अपनी कला और संस्कृति से लोगों को अवगत कराने आते हैं।
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