अगले दो से तीन महीने के भीतर लोकसभा चुनावों के लिए देश में मतदान शुरू हो जाएगी. केंद्र की मोदी सरकार लगातार तीसरी बार सत्ता में वापसी की कवायद में जुटी है. इस चुनाव में वोटरों को लुभाने के लिए अंतरिम बजट मोदी सरकार के लिए सबसे बड़ा हथियार है. जिसमें किसानों से लेकर सैलरीड क्लास और युवाओं के लिए बजट में लोकलुभावन एलान किए जा सकते हैं. लेकिन सरकार की नजर 1.17 करोड़ केंद्रीय कर्मचारियों और पेंशनर्स पर भी है. ऐसे में उम्मीद की जा रही है कि मोदी सरकार सरकारी कर्मचारियों और पेंशनर्स के लिए 8वें वेतन आयोग के गठन किए जाने की घोषणा अंतरिम बजट में कर सकती है.
नोट:- 8वें वेतन आयोग के गठन का समय आ चुका है जिसकी सिफारिशों को एक जनवरी 2026 से लागू किया जा सकता है.
हर 10 साल बाद सरकारी कर्मचारियों के वेतन और पेंशनर्स के पेंशन में बढ़ोतरी के लिए सरकार नए वेतन आयोग का गठन करती है. वेतन आयोग को अपनी रिपोर्ट और सिफारिशें जमा करने के लिए 18 महीने का समय दिया जाता है. 28 फरवरी 2014 को जस्टिस अशोक कुमार माथुर की अध्यक्षता में 7वें वेतन आयोग का गठन किया गया था. आयोग ने नवंबर 2015 में अपनी सिफारिशें सरकार को सौंप दी थी जिसे एक जनवरी 2016 से लागू किया गया था. तब चीफ ऑफ स्टॉफ ऑफ आर्म्ड फोर्सेज ने 7वें आयोग की सिफारिशों को लेकर अपनी आपत्ति भी जाहिर की थी. लेकिन अब ये कयास लगाया जा रहा है कि चुनावी रणनीति को देखते हुए सरकार 8वें वेतन आयोग को गठन करने पर कदम बढ़ा सकती है. हालांकि मोदी सरकार कई बार संसद में सांसदों की तरफ से पूछे गए सवाल के जवाब में कह चुकी है केंद्रीय कर्मचारियों के वेतन में बढ़ोतरी को लेकर 8वें वेतन आयोग के गठन किए जाने का सरकार के सामने कोई प्रस्ताव नहीं है. पर सवाल करोड़ों सरकारी कर्मचारियों, पेंशनधारकों का है. चुनावी साल में वेतन आयोग का गठन ना कर सरकार इन लोगों की नाराजगी मोल नहीं ले सकती है.
आपको बता दें 1947 के बाद से अबतक 10 वेतन आयोग का गठन किया जा चुका है. सरकार हर 10 वर्ष पर नए वेतन आयोग का गठन करती है. जिसकी सिफारिशों के आधार पर केंद्रीय कर्मचारियों के वेतन और पेंशनधारकों के पेंशन में बढ़ोतरी की जाती है. सातवें वेतन आयोग का गठन यूपीए सरकार ने 28 फरवरी 2014 को किया था और एक जनवरी 2016 को आयोग की सिफारिशों के आधार पर वेतन, भत्तों और पेंशन में बढ़ोतरी की गई थी.
Write a comment ...